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साँसों को बचाने के लिए संघर्ष जारी,कोरोना का कहर बरकरार

कानपुर-डीवीएनए। कोरोना महामारी ने किसी का बेटा छीना तो किसी की बेटी,किसी ने पिता खोया तो किसी ने अपनी माँ। क्या किसी को यह मालूम था कि,हालात इतने बदतर भी हो जाएंगे। साँसों को बचाने के लिए संघर्ष जारी है। कोरोना का कहर बरकरार है। खतरा फिलहाल कम होता नहीं दिख रहा है। निजी अस्पतालों में अभी भी मरीजों को ऑक्सीजन वाले बेड न होने की बात कह लौटाया जा रहा है। किसी ने अस्पताल से मायूस होकर लौटते समय जान गंवा दी तो किसी ने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच भटकते हुए। किसी की जान एंबुलेंस में चली गई तो कहीं पहले रुपये जमा कराने का दबाव था। किसी ने अस्पताल की चैखट पर भर्ती किए जाने के इंतजार में दम तोड़ दिया।
ग्राम लालगंज उन्नाव निवासी विनोद कुमार ने अपनी पत्नी मीरा को शुगर और फेफड़ों में संक्रमण के कारण गंभीर हालत में हैलट इमरजेन्सी में भर्ती कराया। यहाँ रविवार सुबह महिला की सांसें थम गयी। परिवारीजनों का रोरोकर बुरा हाल था।
गुमटी नम्बर 5 निवासी अरुण पण्डित दोपहर अपने पिता रामू को हाई बीपी और शरीर में आँक्सीजन लेवल कम होने के चलते गंभीर हालत में यहाँ भर्ती कराया। वहीं बरीमहतेन घाटमपुर निवासी बुजुर्ग जगदीश नारायण अवस्थी को बेटा राजीव और राजा सांस की तकलीफ और शरीर का आँक्सीजन लेवल कम हो जाने के चलते गंभीर हालत में लेकर यहां पहुंचे और भर्ती कराया। बेटे के मुताबिक सीएचसी में सुविधायें ना होने के कारण पिता के इलाज के लिए हैलट इमरजेंसी लेकर आये है।
लल्लनपुरवा नवाबगंज निवासी प्रेम प्रकाश कुशवाहा अपनी पत्नी प्रभा को हाई बीपी और सांस की तकलीफ होने पर गंभीर हालत में बेटी सेजल संग दोपहर हैलट इमरजेन्सी लेकर पहुंचे। पति के मुताबिक,यहाँ डाँक्टर ने पत्नी को देखने के बाद रेफर कर दिया।बारादेवी निवासी सुनील कुमार गौड़ होम आईसोलेशन में पत्नी शकुंतला की हालत बिगडने पर दोपहर यहाँ लेकर पहुंचे। महिला के शरीर का आँक्सीजन लेवल कम हो गया था।

Digital Varta News Agency

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