बुंदेली काव्य संरक्षित करने पर हुआ मंथन - NUMBER ONE NEWS PORTAL

NUMBER ONE NEWS PORTAL

मेरा प्रयास, आप का विश्वास

myupnews

Comments

बुंदेली काव्य संरक्षित करने पर हुआ मंथन

बांदा डीवीएनए। बुंदेलखंड काव्य कुंभ में बुंदेली काव्य संरक्षित करने पर विशेष मंथन हुआ। इस मौके पर बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों से आए 157 साहित्यकार और कवि उपस्थित थे। उन्होंने अपनी रचनाओं और कविताओं से भी भारतीय संस्कृति और संस्कार का संदेश दिया।
संस्कार भारती कानपुर प्रांत के तत्वावधान में रविवार को नटराज संगीत स्टूडियो में आयोजित दो दिवसीय बुंदेलखंड काव्य कुंभ में बुंदेली कवियों की कविताओं का संकलन दिव्य वांगमय प्रकाशित करने पर चर्चा हुई। दादा ओमपाल सिंह निडर ने काव्य पाठ के साथ कवियों को संदेश दिया, उठो साथियों निज धर्म बिक न जाए, बहरो जागो निज शर्म बिक न जाए। अपूर्वा सोनी द्वारा संकलित कई चित्रकारों की कला दीर्घा आकर्षण का केंद्र रही। इसमें माडर्न पेंटिंग, दृश्य चित्रण दर्शाए गए थे। स्मृति शेष कला रत्नों की प्रदर्शनी भी सराही गई। जनकवि बाबू केदार अग्रवाल की कविता पर कत्थक शैली में नृत्य पेश किया गया। कई कोरोना योद्धाओं को सम्मानित भी किया गया।
कवि सुशील खरे वैभव, संतोष पटेरिया, महोबा के श्याम बिहारी, चित्रकूट के श्रीनारायण तिवारी, हमीरपुर की कोमल, रेवतीरमण पाठक, धर्मात्माप्रसाद अभिलाषी, आगरा की प्रांजल, तिंदवारी के रामनारायण त्रिपाठी, झांसी के बाश्ला प्रसाद यादव, सुखदेव व्यास, डा. सावित्री शर्मा, ग्वालियर के प्रमोद सिंह, डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित व सुधीर खरे कमल आदि की रचनाएं व काव्य पाठ सराहे गए। कार्यक्रम में आरएसएस के जिला प्रचारक डा. जगन्नाथ पाठक, प्रो. लल्लूराम शुक्ल, डा. शिवदत्त त्रिपाठी, सुशील त्रिवेदी, मनीष गुप्ता, राजेश गुप्ता, राजकुमार राज, धनंजय सिंह, डा. शिवप्रकाश, रमेश पटेल, कुसमुल मिश्रा, प्रवीण, आशीष, प्रकाशचंद्र सक्सेना आदि मौजूद थे। संचालन दीनदयाल सोनी व संतोष पटेरिया ने किया।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

Post Top Ad

loading...