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चित्रकूट मंडल बन जायेगा रेगिस्तान! नहीं मिलेगा पानी!

बांदा डीवीएनए। पानी की समस्या चित्रकूट मंडल में रेगिस्तान का रूप लेने कि ओर अग्रसर है। पानी के लिये हाहाकार मचेगा। जल शक्ति विभाग के मंत्रालयों नें पानी उपलब्ध कराने में असमर्थता जाहिर कर दी है।
चित्रकूटधाम मंडल में बारिश कम होने से सभी तेरह बांध बेदम होने लगे हैं। पूरे मंडल में बारिश औसत से भी कम हुई। बांधों की तलहटी में सिल्ट भर जाने से उनकी भंडारण भी क्षमता घट गई है। इन दोहरी सूरतों ने मंडल में खेत और पेट के पानी का अकाल शुरू कर दिया है। वैसे तो यह त्रासदी बुंदेलखंड की पुरानी दास्तां हैं, लेकिन इस वर्ष हालात कुछ ज्यादा खराब प्रतीत हो रहे हैं। गर्मियों की दहलीज पर ही मंडल के चारों जिलों बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर और महोबा के सभी 13 बांध और वियर ने आने वाले दिनों में पानी दे पाने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
मंडल में औसत से 228 मिमी बारिश कम हुई है। बांधों में सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति बांदा, महोबा और चित्रकूट की है। इन्हीं से पूरे वर्ष सिंचाई और कई गांव और कस्बों को पेयजल आपूर्ति की जाती है। गंगऊ, रनगवां और बरियारपुर वियरध्बांध बांदा को पानी देते हैं। तीनों बांध सीमावर्ती एमपी के छतरपुर व पन्ना में हैं। गंगऊ में मात्र एक फीसदी उपयोगी पानी बचा है। बरियारपुर में तीन और रनगवां में मात्र पांच फीसदी पानी है। चित्रकूट के चारों बांधों में दो की स्थिति ज्यादा खराब है। ओहन बांध में मात्र तीन प्रतिशत पानी है और बरुआ बांध में उपयोगी पानी नहीं बचा है। गुंता बांध में 47 और रसिन बांध में 56 फीसदी उपयोगी पानी का भंडार है। महोबा में अर्जुन बांध में 19, चंद्रावल बांध में 21 प्रतिशत पानी है। कबरई और मझगवां बांधों में उपयोगी पानी न के बराबर है।
उर्मिल बांध में मात्र एक फीसदी उपयोगी पानी बताया गया है। हमीरपुर में एक मात्र मौदहा बांध में 29 प्रतिशत उपयोगी पानी बचा है। बांधों के ये सारे ताजा आंकड़े सिंचाई कार्य मंडल के हैं। विभाग ने यही रिपोर्ट शासन को भेजकर अवगत कराया है। उधर, महोबा में बांधों में पानी की स्थिति अच्छी न होने से फरवरी के आखिरी हफ्ते में हालात बदतर होते जा रहे हैं। यही हाल रहा तो अप्रैल, मई व जून की गर्मी में पानी संकट गहरा सकता है। सिंचाई विभाग ने पानी की समस्या को लेकर हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इससे जिले के नगरीय क्षेत्र ही नहीं ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या गहराने के आसार नजर आने लगे हैं। यहां के जल स्रोत जवाब देने लगे हैं। इससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। पानी की समस्या एक बार फिर महोबा के बाशिंदों को रुला सकती है।
मंडल में इस वर्ष मानसूनी मेघा सिर्फ बांदा जिले में ही ज्यादा बरसे। अन्य तीन जिलों महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट में औसत से भी कम बारिश हुई। बांदा में औसत 830 मिमी के सापेक्ष 1095 मिमी पानी बरसा। 265 मिमी ज्यादा बारिश रिकार्ड की गई। चित्रकूट में 325 मिमी, महोबा में 195 और हमीरपुर में 129 मिमी बारिश कम हुई।
स्थिति की भयावहता यह है कि बांधों की तलहटी पर बचा-खुचा पानी सिंचाई विभाग मई और जून की भीषण गर्मी के दौरान पशुओं की प्यास बुझाने के लिए संजोए रखे है। अधिशासी अभियंता एके पांडेय ने बताया कि पहली से 14 मई तक रनगवां बांध में उपलब्ध पानी से नहर चलाकर तालाब भरे जाएंगे। यह सिर्फ पशुओं की प्यास बुझाने के लिए होगा। इस पानी से सिंचाई पर प्रतिबंध रहेगा। बताया कि अगली फसलों खरीफ व धान के लिए पानी तभी मिल सकेगा जब बारिश से बांध भरेंगे।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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