टीबी जैसी घातक बीमारी से लोगों को बचाने की कवायद
कासगंज। (डीवीएनए)क्षय रोग उन्मूलन के लिए टीबी रोगियों के उपचार के साथ-साथ उन्हें इसके प्रति जागरुक भी किया जाएगा। जिला टीबी विभाग अब टीबी के रोगियों व उनके परिजनों को टीबी के बारे में जानकारी देगा। उनके साथ मीटिंग करके उन्हें बताया जाएगा कि टीबी कैसे फैलती है, कैसे इसका इलाज किया जाता है और इसको रोकने के लिए क्या कदम उठाएं जाएंगे।
उन्हें ये भी बताया जाएगा कि टीबी के इलाज को बीच में नहीं छोड़ना है। दस्तक अभियान के दौरान भी टीबी के मरीजों का चिन्हांकन किया जाएगा।जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अविनाश कुमार ने बताया कि क्षय रोग एक संक्रामक बीमारी है।
जो अत्यंत सूक्ष्म जीवाणु माइक्रो बैक्टरियम ट्यूबर कुलोसिस के संक्रमण से होती है। क्षय रोग मुख्य रूप से फेफड़ों पर प्रभाव डालते हैं। टीबी के जीवाणु शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करते है।
टीबी का कीटाणु टीबी के रोगी के खांसने, छींकने और थूकने के दौरान बलगम के छोटे-छोटे कणों के माध्यम से ही फैलता है। बलगम के ये सूक्ष्म कण हवा के माध्यम से एक मनुष्य से दूसरे में फैलते हैं।
जिला समन्वयक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि टीबी की रोकथाम के लिए अब दस्तक अभियान के दौरान टीबी के रोगियों का चिन्हांकन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही टीबी की रोकथाम के लिए टीबी के रोगियों के परिजनों के साथ मीटिंग करके उन्हें टीबी के प्रति जागरुक भी किया जाएगा।
प्रत्येक क्षय रोगी को उनके उपचार की अवधि तक 500 रिपये प्रति माह से उनको पोषण हेतु धनराशि मरीज के सीधे उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से डाली जाएगी
यह होंगी गतिविधियां
-क्षय रोग के लक्षण, जांच एवं उपचार के संबंध में लोगों को जागरुक करना
-संभावित क्षय रोगियों का चिन्हीकरण करना।
घर-घर जाएगी टीम
-दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी, दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार, वजन में कमी आना, भूख कम लगना, बलगम से खून आना, छाती के एक्सरे में असमान्यता होना. टीम घर-घर जाकर ऐसे लोगों को चिह्नित करेगी। ऐसे व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल नम्बर एवं एड्रेस व स्वास्थ्य केन्द्र पर निर्धारित प्रारूप में भरकर उपलब्ध कराएंगी।
एनटीईपी कर्मचारी करेंगे यह काम
-जांच के लिए संभावित क्षय रोगियों का बलगम एकत्र कर माइक्रोस्कोपी, सीबीनैट या ट्रू नेट
-सहरूगणता जांच, जिसमें एचआईवी, डायविटीज, गर्भावस्था, एवं उपचार स्वास्थ्य कर्मी के देख रेख में
-खांसी व टीबी के रोगियों को सामान्य मरीजों से अलग बैठाने की व्यवस्था अस्पतालों में की जानी चाहिए।
-अस्पताल में हवादार कमरे, टीबी के मरीजं को लिए अलग वार्ड और वेंटिलेशन की सुविधा होना चाहिए
-टीबी रोगियों का शीघ्र निदान और उचित उपचार।
संवाद:-नूरुल इस्लाम
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