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धरती पुत्र किसान तुम्हारी कौन सुनेगा: फसल बीमा योजना दिखाती है ठेंगा

बांदा डीवीएनए। तूं सबकी बनाये बात-बात तेरी बनती दिखती नाय,सूरज तो निकले रोज-रोज पर धरती दिखती नाय,तेरी फसलें हुई बर्बाद तुमारी कौन सुनेगा,धरती पुत्र किसान तुम्हारी कौन सुनेगा? किसानों की यह मार्मिक पीड़ा गीत की उपरोक्त पंक्तिया व्यक्त करतीं हैं। उदाहरण स्वरूप प्रधानमंत्री फसल बीमा को ही लें तो योजना का लाभ अन्नदाताओं को किस तरह मिल रहा है, इसकी बानगी जिले में देखने को मिल रही है। खरीफ फसल में बीमा का लाभ महज लगभग 11 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाया है। यह पढ़ कर आश्चर्य में आप दांत तले उंगली दबा लेगें की खरीफ के लिए जिले में 42 हजार से अधिक कृषकों ने बीमा कराया था पर परिणाम वही ढाक के तीन पात।
हम आपको हकीकत की तह में लें चलते हैं। फसलों की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। खरीफ व रबी में अलग-अलग प्रीमियम के आधार पर फसलों का बीमा कराया जाता है। रबी में डेढ़ व खरीफ में दो फीसद प्रीमियम लगता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक खरीफ 2020-21 में जिले के 42,828 किसान बीमित किए गए। जिनमें अभी तक 4,469 किसान लाभान्वित हो पाए हैं। इनके बीच एक करोड़ 62 लाख 21 हजार से अधिक का क्लेम दिया गया है।फसलों का बीम क्लेन लेने के लिये किसानों के जूते-चप्पल घिस जाते हैं पर धरती पुत्र किसानों के अधिकारों की करुण पुकार शासन-प्रशासन के नक्कारखाने में श्तूतीश्की आवाज साबित होता है।
विभागीय जानकारी के मुताबिक योजना के तहत उन फसलों की क्षतिपूर्ति का क्लेम मिलता है, जो आपदा से प्रभावित होती हैं। वहीं पांच सालों का औसत उत्पादन क्राप कटिग के आधार पर निकालते हुए क्लेम दिया जाता है। यदि बीमित फसल की पैदावार औसत से कम रही तो नियमानुसार किसान को क्षतिपूर्ति का लाभ दिया जाता है। जो बीमित किसानों को जायज होने पर भी मिल नहीं पाता जिस कुछ गिनती के लोगों को मिल पाता है वह सुविधा शुल्क पर!
जिला कृषि अधिकारी डॉ.प्रमोद कुमार की बातें श्प्रमोदश् साबित होती हैं।बताते हैं कि जिले में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को बीमा का काम मिला है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अच्छी स्कीम है। इससे नियमानुसार फसलों की क्षति पर बीमा का लाभ किसानों को मिलता है।
जिले में खरीफ के अंतर्गत 25 किसानों को व्यक्तिगत आधार पर बीमा का लाभ दिया गया है। जब कोई किसान व्यक्तिगत रूप से फसलों के बाढ़ व अन्य कारणों से नुकसान का दावा करता है तो उसकी जांच कराकर क्लेम दिया जाता है। व्यक्तिगत आधार पर 25 कृषकों को 47 हजार से अधिक का क्लेम दिया गया है।इन दावों में कितनी सच्चाई हैं और कितनी नहीं यह किसानों का दिल ही जानता है,क्योकि फसल बीमा योजना रेत के महल की तरह ढ़ेर है।
संवाद विनोद मिश्रा

Digital Varta News Agency

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