बांदा। (डीवीएनए)बालू माफियाओं का अत्याचार, कब संभलेगी आखिर सरकार! अब यह यूपी एंव एम पी की सरकारों के लिये यक्ष प्रश्न बन गया है!क्या हो गया है नेताओं को।इनकी कथनी करनी में जमीन-आसमान का अन्तर!बुंदेल खण्ड को यह जलविहीन कर देगें क्या? क्योकि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बालू माफिया केन नदी की जलधारा में तीन मीटर गहराई तक बालू की खुदाई कर केंद्र और एमपी-यूपी की महत्वाकांक्षी योजना केन-बेतवा लिंक की ऐसी तैसी कर रहे हैं।
करीब 30 हजार करोड़ रुपये की परियोजना इस अवैध खनन की भेंट चढ़ जानें का खतरा है। एमपी से लेकर यूपी के बांदा और हमीरपुर तक नदी की तलहटी से बेतहाशा खनन से जलधारा के ही विलुप्त हो जानें का खतरा दस्तक देनें लगा है। सोचनीय विषय है की यदि केन नदी नहीं बचेगी तो लिंक परियोजना में बेतवा को पानी कहां से मिलेगा? यह प्रश्न ज्वार-भाटा सा बन गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नदियों को आपस में जोड़ने की योजना मंजूर हुई थी। इसकी शुरुआत केन-बेतवा नदियों को जोड़ने से प्रस्तावित हुई ।यूपी-एमपी सरकारों के बीच डेढ़ दशक पूर्व समझौता हो चुका है। परियोजना की डीपीआर भी तैयार है। वर्ष 2009 में केन-बेतवा लिंक को परियोजना घोषित किया जा चुका है। जल्द ही परियोजना पर काम शुरू होना है।
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की सरहद में केन नदी की जलधारा से भारी पैमाने में बालू निकालने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। नदी की जलधारा गड्ढों में तब्दील होती जा रही है।मध्य प्रदेश शासन/प्रशासन से बालू खदानों का ठेका लिए पट्टाधारक खनन नीति और सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी आदि के दिशा-निर्देशों की परवाह किए बगैर राष्ट्रीय नदी की जलधारा को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रहे हैं।
नदी के तबाह करने का यह सिलसिला बांदा और हमीरपुर जनपद में भी बेखौफ चल रहा है। जानकारों का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के मुताबिक, एमपी में दोधन बांध के पास से बेतवा (झांसी) तक करीब 270 किमी लंबी नहर बनाकर केन नदी का अतिरिक्त पानी बेतवा को पहुंचाया जाएगा, लेकिन नदी की जलधारा में जिस तरह से युद्ध स्तर पर खनन हो रहा।जिससे केंद्र और दोनों राज्यों की यह महत्वपूर्ण परियोजना रेत के महल की तरह ढ़ेर हो सकती है।
संवाद:- विनोद मिश्रा
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