लखनऊ (डीवीएनए)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल है तो कल है। जल के महत्व और उपयोगिता को देखते हुए शासन व जनपद स्तर के अधिकारी वॉटर हार्वेस्टिंग के कार्यों को शीघ्रता से आगे बढ़ाएं। राज्य सरकार द्वारा जल की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं विनियमन के लिए उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियमन अधिनियम-2019 लागू किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रदेश और जनपद स्तर पर जल समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने सभी सरकारी भवनों, सरकारी-गैर सरकारी स्कूलों और कॉलेजों, औद्योगिक क्षेत्रों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि में प्राथमिकता के आधार पर शीघ्रता से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में चेकडैम तथा तालाबों की 278 परियोजनाओं (112 तालाब एवं 166 चेकडैम) का लोकार्पण एवं भूगर्भ जल पोर्टल का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने पोर्टल से लाभान्वित विभिन्न जनपदों के 05 लाभार्थियों से तथा जनपद औरैया, मुरादाबाद, झांसी, प्रतापगढ़, फतेहपुर की जल समितियों के 01-01 सदस्य से संवाद भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों के अनुरूप राज्य में ‘हर घर नल’ योजना लागू की गयी है। इसके अन्तर्गत बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में लगभग 15,500 करोड़ रुपये की पेयजल परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं के तहत भूगर्भ एवं सतही दोनों तरह के जल का उपयोग किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा में खारे पानी तथा आर्सेनिक-फ्लोराइड से प्रभावित क्षेत्रों के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग आवश्यक है। वॉटर हार्वेस्टिंग के प्रभावी प्रयास से भविष्य में इन इलाकों में पानी की समस्या का समाधान किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इन्सेफेलाइटिस सहित विभिन्न बीमारियांे का कारण जल एवं उसकी शुद्धता के प्रति उदासीनता है। शौचालयों के निर्माण और पेयजल की आपूर्ति से राज्य सरकार को इन्सेफेलाइटिस से होने वाली मृत्यु में 95 प्रतिशत की कमी लाने में सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा विगत पौने चार वर्ष में जल संरक्षण के लिए प्रभावी प्रयास किये हैं। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, तालाबों के पुनरुद्धार, बड़ी सख्ंया में चेकडैमों की स्थापना से भूगर्भ जल स्तर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वर्षा जल को चेकडैम में एकत्र करके खेतों की सिंचाई, मत्स्य पालन, बतख पालन में भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वेस्ट और प्रदूषित जल के निस्तारण के लिए शासन की गाइडलाइन्स का पालन किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अटल भूजल योजना के अन्तर्गत केवल 10 जनपद चयनित थे। जल की उपयोगिता और भविष्य में इसकी मांग को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने इसे प्रदेश के सभी जनपदों में लागू करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति में असंतुलन समस्याओं को जन्म देता है। वर्ष 2017 में प्रदेश के एक चैथाई विकासखण्ड डार्क जोन घोषित हो चुके थे। प्रकृति और परमात्मा के वरदान से प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में भूगर्भ एवं सतही जल उपलब्ध है। इसके बावजूद प्रदेश के बड़े इलाके का डार्क जोन घोषित होना आसन्न संकट का संकेत था।
मुख्यमंत्री को संवाद के दौरान जल समितियों के सदस्यों ने अवगत कराया कि तालाबों के पुनरुद्धार तथा चेकडैमों के निर्माण से भूगर्भ जल का स्तर बढ़ा है। साथ ही, संग्रहित जल का अन्य कार्यों में उपयोग हो पा रहा है। मुख्यमंत्री जी ने जागरूक लोगों को जल समितियों से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि संरक्षित जल, बैंक में जमा धन की तरह है, जिसका आवश्यकतानुसार उपयोग किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने जल समितियों के सदस्यों से तालाबों के पुनरुद्धार तथा चेकडैम की उपयोगिता के बारे में लोगों को जानकारी देने तथा प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग का आह्वान करते हुए कहा कि जल संरक्षण पुण्य का कार्य है। जल हमारे कल को बेहतर बनाने में सहायक होगा। प्रदूषित जल अनेक बीमारियांे का कारण होता है। इसलिए सतही और भूगर्भ दोनों को शुद्ध एवं स्वच्छ रखने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने सिंचाई में ड्रिप एरीगेशन के प्रयोग पर बल दिया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि खेत-तालाब योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से क्रिटिकल क्षेत्रों के विस्तार पर रोक लगी है। सभी की सहभागिता से वॉटर रिचार्ज कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर प्रदेश के सभी जनपदों में अटल भूजल योजना लागू की गयी है। आज लाँच किये गये पोर्टल के माध्यम से अटल भूजल योजना के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम लागू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से सभी समस्याओं का घर बैठे ऑनलाइन समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही, अनापत्ति प्रमाण पत्र भी ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगा। आज जिन चेकडैम और तालाबों का लोकार्पण हुआ है, उनकी जिओ टैगिंग की गयी है, ताकि इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रमुख सचिव लघु सिंचाई अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भूगर्भ जल पोर्टल के माध्यम से यूजर्स को ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध होंगी। इससे भूगर्भ जल के रिचार्ज कार्यक्रम को एकीकृत ढंग से क्रियान्वित जा सकेगा। साथ ही, सतही व भूगर्भ जल का प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा। पोर्टल से कूप, ड्रिलिंग मशीन का पंजीकरण एवं शिकायतों के निस्तारण आदि की ऑनलाइन सुविधा मिलेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आर0के0 तिवारी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, निदेशक सूचना शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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