बांदा (डीवीएनए)। डीएम आनन्द कुमार अन्ना प्रथा की समाप्ति के लिऐ जिले में ऐतिहासक मुहिम को अंजाम देनें की ठान ली है। उनकी यह पहल रंग भी दिखाने लगी है। बुंदेलखंड से अन्ना प्रथा समाप्त करने के लिए दुधारू पशुओं की नस्ल तैयार की जाएगी। इसके लिए बांदा कृषि विश्वविद्यालय में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोला जाएगा। साथ ही यहां के कृषि प्रक्षेत्र को विकसित करने के लिए समय-समय पर शासन पैसा देगा। यह जानकारी प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय ने दी।
भ्रमण पर आए अपर मुख्य सचिव ने कृषि विश्वविद्यालय प्रक्षेत्र में नीलगाय और अन्ना पशुओं से फसलों को हुआ नुकसान देखा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषि प्रक्षेत्र विकसित किया जाना जरूरी है। भरोसा दिलाया कि शासन इसके लिए समय-समय पर धनराशि देगा। इस्राइल का उदाहरण देकर कहा कि उसी तकनीक पर बुंदेलखंड में खेती की जरूरत है।
खेती के लिए बारिश के पानी का उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने विश्वविद्यालय के एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल को देखा और सराहा। औषधि वाटिका, वानिकी महाविद्यालय का टिशु कल्चर लैब, मछली पालन इकाई, मधुमक्खी प्लांट, मशरूम इकाई आदि का निरीक्षण किया। अपर मुख्य सचिव ने शुष्क खेती अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र परियोजना के तहत आणविक पादप प्रजनन प्रयोगशाला और शिलापट्ट का अनावरण कर उद्घाटन किया। वित्त पोषित मधुमक्खी पालन परियोजना में चयनित 7 एफआईजी किसानों को मधुमक्खी पालन के बाक्स दिए। एक ग्रुप को कुल 50 बाक्स दिए जाने हैं। कृषि विज्ञान केंद्र का निरीक्षण किया।
कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने अपर मुख्य सचिव को विश्वविद्यालय में चल रही तमाम गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और उनका अवलोकन कराया। समीक्षा बैठक में निदेशक (प्रशासन) डॉ. बीके सिंह ने विश्वविद्यालय की आख्या प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय परिसर में केंद्रीय विद्यालय को आवंटित भूमि में नए सत्र से शुरुआत के लिए अपर मुख्य सचिव ने डीएम आनंद कुमार सिंह से बात की।
कार्यक्रम का संचालन सह निदेशक प्रसार डॉ. नरेंद्र सिंह ने किया। विश्वविद्यालय के प्रो. जीएस पवार, एसबी द्विवेदी, डॉ. संजीव कुमार, प्रो. मुकुल कुमार, डॉ. प्रिया अवस्थी, डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. एसी मिश्रा, डॉ. एसके सिंह सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी, विभागाध्यक्ष प्राध्यापक और स्टाफ उपस्थित रहा।
कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने अपर मुख्य सचिव को बताया कि सीमित संसाधनों का समुचित प्रयोग करके शोध कार्यों को बढ़ाया गया है। कहा कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से तिल की नई प्रजाति विकसित की जाएगी। सेडा परियोजना से मसूर व चना की कुछ लाइन विकसित की जा रही है। कुलपति ने कृषि विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की जरूरत बताई, जिसमें कृषि यंत्र, सिंचाई और समतल कृषि फार्म की योजना प्रस्तुत की। सचिव ने छोटी-छोटी परियोजनाओं का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने को कहा।
संवाद विनोद मिश्रा
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DM आनंद कुमार बनेंगे बुंदेलखंड के लिये वरदान, समाप्त होगी अन्ना प्रथा!
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