अमेठी (डीवीएनए)। राज्य के नेताओं ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश व राम राज्य जैसी संज्ञा कागजो पर दे तो दी लेकिन गरीबी की समस्या सूबे में आज भी मुंह बाये खड़ी है.यहां गरीबों के जीवन स्तर में न तो कोई बदलाव आया है और न ही उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिली हैं.
जिंदगी हर किसी को एक बार ही मिलती है. कोई दो जून रोटी के लिए दर-दर की ठोकर खाता है,तो कोई सब कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ गंवा देता है.यह बात अलग है कि गरीबी कुछ खास समुदाय और लोगों के लिए अभिशाप बनी हुई है. उनकी जो स्थिति गुलामी के वक्त थी, वह आज भी बरकरार है.
डीवीएनए ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि आज भी अमेठी के इन्हौना, मुसाफिरखाना,जगदीशपुर व शुकुल बाज़ार में धरिकार,बनवासी मुसहर व कबाड़ियों के कई ऐसे परिवार रहते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी यूं ही गरीबी का दंश झेल रहे हैं.भारत को आजाद हुए सदिया गुजर गयी फिर भी इनकी जिंदगी की कायापलट नहीं हो सकी है.
कचरा बीनने से शुरू हुई जिंदगी कचरे में ही समाप्त हो जाती है. इनके पास शिक्षा पाने की न तो कोई सुविधा है और न ही जागरूकता. इनके बच्चे सरकारी स्कूलों में जाने की सोचते भी हैं, तो पेट की आग बुझाने की चिंता इन्हें शिक्षा से दूर कर देती है.अमेठी जनपद में आज भी ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं जिन्हें स्कूल में प्रवेश लेकर पढ़ाई करने की जगह मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार के भरण पोषण की जद्दोजहद करनी पड़ रही है तमाम मासूम बच्चे हैं, जो पढ़ने की उम्र में अपनी रोजी-रोटी कमाने और पेट भरने के लिये दर-दर भटकने पर मजबूर हैं। अनेक बच्चे तो होटलों में गंदे बर्तन मांज-धो रहे हैं अथवा फिर चाय की दुकानों पर बालश्रमिक के रूप में उनका बचपन बीत रहा है। कुछ मजबूर और बेबस बच्चे लोगों से भीख मांगते देखे जाते हैं मजबूरी दर-दर की ठोंकर खाकर गुजर-बसर कर रहे इन बच्चों के बुझे चेहरों पर वक्त की मार के निशान साफ पढ़े जा सकते हैं। ऐसे कई बच्चे शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर काम और मजदूरी अथवा भीख की आस में मंडराते दिखाई देते हैं।
बस स्टैण्ड, चिकित्सालय, स्कूल, काॅलेज, मंदिर-मस्जिद आदि जगहों पर मासूम बच्चे अपने परिजनों के साथ रोटी के लिए भीख की प्रतीक्षा करता देखा जा सकता है। पीठ पर थैला लटकाये अथवा हाथ में बड़ा से पाॅलीथिन बैग रखे छोटे-छोटे बच्चे कचरे के ढेरों से कबाड़ बीनते भी नजर आते हैं जनपद में रोजाना इन बच्चों को मेहनत मजदूरी करते अथवा मांगते-खाते देखा जा सकता है उत्तर प्रदेश में कुछ जातियों की आज भी स्थिति अच्छी नहीं है. आरक्षण के नाम पर समुदाय विशेष के लोगों को सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन ये आजादी के पहले जिस स्थिति में जीवन गुजारने को विवश थे, आज भी उसी स्थिति में जीवन बसर कर रहे हैं. आज तक हमें यही समझ में नहीं आया कि गरीब होना पाप है या फिर गरीबी ही कुछ लोगों के लिए अभिशाप है? ।
संवाद राम मिश्रा