लखनऊ। डीवीएनए
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत डॉ. कफील खान की हिरासत को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.राज्य सरकार का कहना है कि डॉ. कफील का अपराध करने का पुराना इतिहास रहा है।
यही वजह है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन्हें नौकरी से निलंबित किया गया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन पर रासुका तक लगाया गया।
याचिका में कहा गया है कि डॉ कफील को यह जानकारी देने के बाद भी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आसपास धारा-144 लागू है और हाईकोर्ट ने भी एएमयू के 100 मीटर के दायरे में धरने व रैली पर रोक लगा रखी है।
बावजूद इसके डॉ. कफील ने वहां जाकर छात्रों को संबोधित किया और भड़काऊ भाषण दिया और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की।
राज्य सरकार का कहना है कि डॉ. कफील के उस भड़काऊ भाषण का ही नतीजा था कि 13 दिसंबर 2019 को एएमयू के करीब 10000 छात्रों ने अलीगढ़ शहर की ओर मार्च करना शुरू किया था।
संवाद राकेश पाण्डेय
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