गाजीपुर-बलिया मार्ग पर करीमुद्दीनपुर में स्थित मां कष्टहरणी भवानी का मंदिर लोगों के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। भक्तों का मानना है कि यहां पर मांगी गई हर मन्नत को माता कष्टहरणी पूरा करती है। यहां पर साल में दो बार मेले का भी आयोजन होता है। मेले के समय यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। वैसे तो इस मंदिर में बारहों महीने भक्तों का तांता लगा रहता है। महिलाएं यहां पर अखण्ड दीप जलाकर मन्नतें मांगती हैं।
थाने के पास स्थित इस मंदिर की किवदंतियों के अनुसार द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान कुल गुरु धौम्य ऋषि एवं राजा युधिष्ठिर तथा द्रोपदी के साथ यहां आए थे और मां का पूजन-अर्चन कर आशीर्वाद लिया था।
एक अन्य कथा के अनुसार लगभग चार सौ वर्ष पहले अघोरेश्वर बाबा कीनाराम की विनती और पूजा से प्रसन्न होकर मां भगवती कष्टहरणी ने स्वयं कीनाराम को प्रसाद प्रदान कर पहली सिद्धि से परिपूर्ण किया था। श्री राम- लक्ष्मण तथा विश्वामित्र ने बक्सर जाते समय यहां विश्राम किया था।
थाने के पास स्थित इस मंदिर की किवदंतियों के अनुसार द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान कुल गुरु धौम्य ऋषि एवं राजा युधिष्ठिर तथा द्रोपदी के साथ यहां आए थे और मां का पूजन-अर्चन कर आशीर्वाद लिया था।
एक अन्य कथा के अनुसार लगभग चार सौ वर्ष पहले अघोरेश्वर बाबा कीनाराम की विनती और पूजा से प्रसन्न होकर मां भगवती कष्टहरणी ने स्वयं कीनाराम को प्रसाद प्रदान कर पहली सिद्धि से परिपूर्ण किया था। श्री राम- लक्ष्मण तथा विश्वामित्र ने बक्सर जाते समय यहां विश्राम किया था।